आईएएस की परीक्षा में पूंछे गये प्रश्न सन 2014 :- 1
परिच्छेद-1 हाल के वर्षों में, भारत न केवल खुद अपने अतीत की तुलना में, बल्कि अन्य देशों की तुलना में भी, तेज़ी से विकसित हुआ है। किंतु इसमें किसी आत्मसंतोष की गुंजाइश नहीं हो सकती, क्योंकि भारतीय अर्थव्यवस्था के लिए इससे भी अधिक तीव्र विकास करना और इस संवृद्धि के लाभों को, अब तक जितना किया गया है उससे कहीं अधिक व्यापक रूप से, अधिकाधिक लोगों तक पहुंचाना संभव है। उन सूक्ष्म-संरचनात्मक परिवर्तनों के प्रकारों के ब्यौरों में जाने से पहले, जिनकी हमें संकल्पना करने और फिर उन्हें कार्यान्वित करने की ज़रूरत है, समावेशी संवृद्धि के विचार को विस्तार से देखना सार्थक होगा, जो कि इस सरकार की विभिन्न आर्थिक नीतियों और निर्णयों के पीछे एक निरूपक संकल्पना निर्मित करता है। समावेशी संवृद्धि में रुचि रखने वाला राष्ट्र इसी संवृद्धि को एक भिन्न रूप में देखता है जो इस पर आधारित है कि क्या संवृद्धि के लाभों का जनसंख्या के एक छोटे हिस्से पर ही अम्बार लगा दिया गया है या इनमें सभी लोगों की व्यापक रूप से साझेदारी है। अगर संवृद्धि के लाभों में व्यापक रूप से साझेदारी है तो यह खुशी की बात है, पर अगर संवृद्धि के लाभ...