आईएएस की परीक्षा में पूंछे गये प्रश्न सन 2014 :- 1
परिच्छेद-1
हाल के वर्षों में, भारत न केवल खुद अपने अतीत की तुलना में, बल्कि अन्य देशों की तुलना में भी, तेज़ी से विकसित हुआ है। किंतु इसमें किसी आत्मसंतोष की गुंजाइश नहीं हो सकती, क्योंकि भारतीय अर्थव्यवस्था के लिए इससे भी अधिक तीव्र विकास करना और इस संवृद्धि के लाभों को, अब तक जितना किया गया है उससे कहीं अधिक व्यापक रूप से, अधिकाधिक लोगों तक पहुंचाना संभव है। उन सूक्ष्म-संरचनात्मक परिवर्तनों के प्रकारों के ब्यौरों में जाने से पहले, जिनकी हमें संकल्पना करने और फिर उन्हें कार्यान्वित करने की ज़रूरत है, समावेशी संवृद्धि के विचार को विस्तार से देखना सार्थक होगा, जो कि इस सरकार की विभिन्न आर्थिक नीतियों और निर्णयों के पीछे एक निरूपक संकल्पना निर्मित करता है। समावेशी संवृद्धि में रुचि रखने वाला राष्ट्र इसी संवृद्धि को एक भिन्न रूप में देखता है जो इस पर आधारित है कि क्या संवृद्धि के लाभों का जनसंख्या के एक छोटे हिस्से पर ही अम्बार लगा दिया गया है या इनमें सभी लोगों की व्यापक रूप से साझेदारी है। अगर संवृद्धि के लाभों में व्यापक रूप से साझेदारी है तो यह खुशी की बात है, पर अगर संवृद्धि के लाभ एक हिस्से पर ही केंद्रित हैं, तो नहीं। दूसरे शब्दों में, संवृद्धि को अपने आप में एक साध्य की तरह नहीं देखा जाना चाहिए, बल्कि इसे सभी तक संपन्नता पहुंचाने के एक साधन के रूप में देखा जाना चाहिए। भारत के स्वयं के अतीत के अनुभव तथा दूसरे राष्ट्रों के अनुभव भी, यह सुझाते हैं कि संवृद्धि गऱीबी के उन्मूलन के लिए आवश्यक तो है परंतु यह एक पर्याप्त शर्त नहीं है। दूसरे शब्दों में, संवृद्धि को बढ़ाने की नीतियों को ऐसी और नीतियों से संपूरित किया जाना आवश्यक है जो यह सुनिश्चित करें कि अधिकाधिक लोग संवृद्धि की प्रक्रिया में शामिल हों, और यह भी, कि ऐसी क्रियाविधियां उपलब्ध हों जिनसे कुछ लाभ ऐसे लोगों में पुनर्वितरित किए जाएं जो बाज़ार-प्रक्रिया में भागीदार होने में अक्षम हैं और इस कारण पीछे छूट जाते हैं।
समावेशी संवृद्धि के इस विचार को एक अधिक सुस्पष्ट रूप देने का एक सरल तरीका यह है कि किसी राष्ट्र की उन्नति को उसके सबसे गऱीब हिस्से, उदाहरणार्थ, जनसंख्या के सबसे निचले 20%, की उन्नति के आधार पर मापा जाए। जनसंख्या के इस सबसे निचले पांचवें हिस्से की प्रति व्यक्ति आय को मापा जा सकता है और आय की वृद्धि-दर की गणना भी की जा सकती है; और सबसे ग़रीब हिस्से से संबंधित इन मापकों के आधार पर हमारी आर्थिक सफलता का आकलन किया जा सकता है। यह दृष्टि आकर्षक है, क्योंकि यह संवृद्धि की उस तरह उपेक्षा नहीं करती जैसी कि कुछ पहले के परंपराविरुद्ध मानदंडों में की जाती थी। यह बस जनसंख्या के सबसे ग़रीब हिस्से की आय की वृद्धि को ही देखती है। यह इसे भी सुनिश्चित करती है कि ऐसे लोगों की भी उपेक्षा न हो जो इस निचले पांचवें हिस्से से बाहर हैं। अगर ऐसा हो, तो पूरी संभावना है कि वे लोग भी इस निचले पांचवें हिस्से में आ जाएं और इस प्रकार अपने-आप ही हमारी इन नीतियों का सीधा लक्ष्य बन जाएं। इस प्रकार यहां सुझाए गए मानदंड समावेशी संवृद्धि के विचार का सांख्यिकीय समाकलन हैं जो परिणामतः दो उपसिद्धांतों की ओर ले जाते हैं : यह इच्छा करना कि आवश्यक रूप से भारत ऊंची संवृद्धि प्राप्त करने का प्रयास करे और हम इसे सुनिश्चित करने के लिए कार्य करें कि संवृद्धि से सबसे ग़रीब हिस्से लाभान्वित हों।
1. इस परिच्छेद में, लेखक की दृष्टि का केंद्रबिंदु क्या है?
(a) भारत की, न केवल इसके खुद के पूर्व के निष्पादन की तुलना में बल्कि अन्य राष्ट्रों की तुलना में भी, आर्थिक संवृद्धि की प्रशंसा करना।
(b) आर्थिक संवृद्धि की आवश्यकता पर बल देना, जो देश की संपन्नता की एकमात्र निर्धारक है।
(c) उस समावेशी संवृद्धि पर बल देना, जिसमें जनसंख्या व्यापक रूप से संवृद्धि के लाभों में सहभागी होती है।
(d) उच्च संवृद्धि पर बल देना।
उत्तर-(c)
संपूर्ण परिच्छेद में समावेशी संवृद्धि पर बल दिया गया है। परिच्छेद का केंद्रबिंदु समावेशी संवृद्धि तथा विशेष रूप से निचले तबके की संवृद्धि है।
2. इस परिच्छेद में, लेखक उन नीतियों का समर्थन करता है, जो
(a) आर्थिक संवृद्धि को बढ़ाने में सहायक होंगी।
(b) आय के बेहतर वितरण में सहायक होंगी, चाहे वृद्धि दर कुछ भी हो।
(c) आर्थिक संवृद्धि बढ़ाने और आर्थिक उपलब्धियों को उनमें पुनर्वितरित करने में सहायक होंगी, जो पीछे छूट रहे हैं।
(d) समाज के सबसे ग़रीब हिस्सों के विकास पर बल देने में सहायक होंगी।
उत्तर-(c)
परिच्छेद की अंतिम कुछ पंक्तियों को देखें-‘‘यहां सुझाए गए मानदंड ……..दो उपसिद्धांतों की ओर ले जाते हैं : यह इच्छा करना कि भारत आवश्यक रूप से ऊंची संवृद्धि प्राप्त करने का प्रयास करे और हम इसे सुनिश्चित करने के लिए कार्य करें कि संवृद्धि से सबसे गरीब हिस्से लाभान्वित हों।’’ स्पष्ट है कि अभीष्ट विकल्प ‘c’ है।
3. निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए :
लेखक के अनुसार, भारत की अर्थव्यवस्था विकसित हुई है किंतु यहां आत्मसंतोष के लिए कोई गुंजाइश नहीं है, क्योंकि
1. संवृद्धि से ग़रीबी का उन्मूलन होता है।
2. संवृद्धि सभी की संपन्नता में परिणमित हुई है।
उपर्युक्त कथनों में से कौन-सा/से सही है/हैं?
(a) केवल 1 (b) केवल 2
(c) 1 और 2 दोनों (d) न तो 1, न ही 2
उत्तर-(d)
परिच्छेद के अनुसार आत्मसंतोष के लिए कोई गुंजाइश नहीं है, क्योंकि-‘‘भारतीय अर्थव्यवस्था के लिए इससे भी अधिक तीव्र विकास करना और इस संवृद्धि के लाभों को, अब तक जितना किया गया है उससे कहीं अधिक व्यापक रूप से, अधिकाधिक लोगों तक पहुंचाना संभव है।’’ स्पष्ट है कि दिए गए कथनों में से कोई सही नहीं हैं।
समावेशी संवृद्धि के इस विचार को एक अधिक सुस्पष्ट रूप देने का एक सरल तरीका यह है कि किसी राष्ट्र की उन्नति को उसके सबसे गऱीब हिस्से, उदाहरणार्थ, जनसंख्या के सबसे निचले 20%, की उन्नति के आधार पर मापा जाए। जनसंख्या के इस सबसे निचले पांचवें हिस्से की प्रति व्यक्ति आय को मापा जा सकता है और आय की वृद्धि-दर की गणना भी की जा सकती है; और सबसे ग़रीब हिस्से से संबंधित इन मापकों के आधार पर हमारी आर्थिक सफलता का आकलन किया जा सकता है। यह दृष्टि आकर्षक है, क्योंकि यह संवृद्धि की उस तरह उपेक्षा नहीं करती जैसी कि कुछ पहले के परंपराविरुद्ध मानदंडों में की जाती थी। यह बस जनसंख्या के सबसे ग़रीब हिस्से की आय की वृद्धि को ही देखती है। यह इसे भी सुनिश्चित करती है कि ऐसे लोगों की भी उपेक्षा न हो जो इस निचले पांचवें हिस्से से बाहर हैं। अगर ऐसा हो, तो पूरी संभावना है कि वे लोग भी इस निचले पांचवें हिस्से में आ जाएं और इस प्रकार अपने-आप ही हमारी इन नीतियों का सीधा लक्ष्य बन जाएं। इस प्रकार यहां सुझाए गए मानदंड समावेशी संवृद्धि के विचार का सांख्यिकीय समाकलन हैं जो परिणामतः दो उपसिद्धांतों की ओर ले जाते हैं : यह इच्छा करना कि आवश्यक रूप से भारत ऊंची संवृद्धि प्राप्त करने का प्रयास करे और हम इसे सुनिश्चित करने के लिए कार्य करें कि संवृद्धि से सबसे ग़रीब हिस्से लाभान्वित हों।
1. इस परिच्छेद में, लेखक की दृष्टि का केंद्रबिंदु क्या है?
(a) भारत की, न केवल इसके खुद के पूर्व के निष्पादन की तुलना में बल्कि अन्य राष्ट्रों की तुलना में भी, आर्थिक संवृद्धि की प्रशंसा करना।
(b) आर्थिक संवृद्धि की आवश्यकता पर बल देना, जो देश की संपन्नता की एकमात्र निर्धारक है।
(c) उस समावेशी संवृद्धि पर बल देना, जिसमें जनसंख्या व्यापक रूप से संवृद्धि के लाभों में सहभागी होती है।
(d) उच्च संवृद्धि पर बल देना।
उत्तर-(c)
संपूर्ण परिच्छेद में समावेशी संवृद्धि पर बल दिया गया है। परिच्छेद का केंद्रबिंदु समावेशी संवृद्धि तथा विशेष रूप से निचले तबके की संवृद्धि है।
2. इस परिच्छेद में, लेखक उन नीतियों का समर्थन करता है, जो
(a) आर्थिक संवृद्धि को बढ़ाने में सहायक होंगी।
(b) आय के बेहतर वितरण में सहायक होंगी, चाहे वृद्धि दर कुछ भी हो।
(c) आर्थिक संवृद्धि बढ़ाने और आर्थिक उपलब्धियों को उनमें पुनर्वितरित करने में सहायक होंगी, जो पीछे छूट रहे हैं।
(d) समाज के सबसे ग़रीब हिस्सों के विकास पर बल देने में सहायक होंगी।
उत्तर-(c)
परिच्छेद की अंतिम कुछ पंक्तियों को देखें-‘‘यहां सुझाए गए मानदंड ……..दो उपसिद्धांतों की ओर ले जाते हैं : यह इच्छा करना कि भारत आवश्यक रूप से ऊंची संवृद्धि प्राप्त करने का प्रयास करे और हम इसे सुनिश्चित करने के लिए कार्य करें कि संवृद्धि से सबसे गरीब हिस्से लाभान्वित हों।’’ स्पष्ट है कि अभीष्ट विकल्प ‘c’ है।
3. निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए :
लेखक के अनुसार, भारत की अर्थव्यवस्था विकसित हुई है किंतु यहां आत्मसंतोष के लिए कोई गुंजाइश नहीं है, क्योंकि
1. संवृद्धि से ग़रीबी का उन्मूलन होता है।
2. संवृद्धि सभी की संपन्नता में परिणमित हुई है।
उपर्युक्त कथनों में से कौन-सा/से सही है/हैं?
(a) केवल 1 (b) केवल 2
(c) 1 और 2 दोनों (d) न तो 1, न ही 2
उत्तर-(d)
परिच्छेद के अनुसार आत्मसंतोष के लिए कोई गुंजाइश नहीं है, क्योंकि-‘‘भारतीय अर्थव्यवस्था के लिए इससे भी अधिक तीव्र विकास करना और इस संवृद्धि के लाभों को, अब तक जितना किया गया है उससे कहीं अधिक व्यापक रूप से, अधिकाधिक लोगों तक पहुंचाना संभव है।’’ स्पष्ट है कि दिए गए कथनों में से कोई सही नहीं हैं।
परिच्छेद – 2
सरकार के लिए राज्य के स्वामित्व वाली कंपनियों को प्रायः सहमति और अनदेखी से नियंत्रित करना आसान है। इसलिए पहले कदम के रूप में वास्तव में यह करने की ज़रूरत है कि पेट्रोल के कीमत-निर्धारण को एक पारदर्शी सूत्र पर आधारित किया जाए-यदि कच्चे तेल की कीमत x और विनिमय दर y हो, तब हर महीने अथवा पखवाड़े पर, सरकार पेट्रोल की अधिकतम कीमत की घोषणा करे, तो उसे कोई भी व्यक्ति x और y के आधार पर परिकलित कर सकता है। यह सुनिश्चित करने हेतु नियम बनाया जाना चाहिए कि तेल का विपणन करने वाली कंपनियां सामान्य रूप से, अपनी लागतें प्राप्त कर सकें। इसका तात्पर्य यह है कि यदि कोई कंपनी नवप्रवर्तनों से अपनी लागतों को कम कर ले, तो वह और अधिक लाभ प्राप्त करेगी। इस प्रकार, इस प्रणाली के अंतर्गत व्यावसायिक प्रतिष्ठान नवप्रवर्तनों की ओर अधिक प्रवृत्त और दक्ष हो जाएंगे। एक बार नियम की घोषणा हो जाए, तो सरकार की तरफ से फिर कोई हस्तक्षेप नहीं होना चाहिए। यदि कुछ समय के लिए ऐसा कर दिया जाए, तो प्राइवेट कंपनियां इस बाज़ार में पुनः प्रवेश करेंगी। और जब एक बार उनकी पर्याप्त संख्या बाज़ार में आ जाए, तो हम नियम-आधारित कीमत-निर्धारण को हटा सकते हैं और इसे वास्तविक रूप में बाज़ार पर छोड़ा जा सकता है (निश्चित रूप से सामान्य ऐंटि-ट्रस्ट (न्यास-विरोधी) विनियमों व अन्य प्रतिस्पर्धी कानूनों के अधीन रहते हुए।।
4. निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए :
परिच्छेद के अनुसार, कोई तेल कंपनी और अधिक लाभ कमा सकती है, यदि पेट्रोल के कीमत-निर्धारण हेतु एक पारदर्शी सूत्र प्रति पखवाड़े या माह घोषित किया जाए,
1. इसके विक्रय को बढ़ाकर
2. नवप्रवर्तनों के द्वारा।
3. लागतों में कमी करके।
4. इसके ईक्विटी शेयरों को ऊंची कीमतों पर बेच कर।
उपर्युक्त कथनों में से कौन-सा/से सही है/हैं?
(a) केवल 1 (b) 2 और 3
(c) 3 और 4 (d) 1, 2 और 4
उत्तर-(b)
परिच्छेद के मध्य में उल्लिखित है-‘‘कोई कंपनी नवप्रवर्तनों से अपनी लागतों को कम कर ले तो वह और अधिक लाभ प्राप्त करेगी’’ विक्रय बढ़ाने एवं शेयरों को ऊंची कीमतों पर बेचने का उल्लेख परिच्छेदों में सही नहीं है। स्पष्ट है कि अभीष्ट विकल्प ‘b’ है।
5. निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए :
परिच्छेद के अनुसार, प्राइवेट तेल कंपनियां तेल उत्पादन के बाज़ार में पुनः प्रवेश करती हैं, यदि
1. एक पारदर्शी नियम-आधारित पेट्रोल का कीमत-निर्धारण अस्तित्व में हो।
2. तेल उत्पादन के बाज़ार में सरकार का कोई हस्तक्षेप न हो।
3. सरकार द्वारा उपदान दिए जाते हों।
4. ऐंटि-ट्रस्ट (न्यास-विरोधी) के विनियमों को हटा दिया गया हो।
उपर्युक्त कथनों में से कौन-से सही हैं?
(a) 1 और 2 (b) 2 और 3
(c) 3 और 4 (d) 2 और 4
उत्तर-(a)

4. निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए :
परिच्छेद के अनुसार, कोई तेल कंपनी और अधिक लाभ कमा सकती है, यदि पेट्रोल के कीमत-निर्धारण हेतु एक पारदर्शी सूत्र प्रति पखवाड़े या माह घोषित किया जाए,
1. इसके विक्रय को बढ़ाकर
2. नवप्रवर्तनों के द्वारा।
3. लागतों में कमी करके।
4. इसके ईक्विटी शेयरों को ऊंची कीमतों पर बेच कर।
उपर्युक्त कथनों में से कौन-सा/से सही है/हैं?
(a) केवल 1 (b) 2 और 3
(c) 3 और 4 (d) 1, 2 और 4
उत्तर-(b)
परिच्छेद के मध्य में उल्लिखित है-‘‘कोई कंपनी नवप्रवर्तनों से अपनी लागतों को कम कर ले तो वह और अधिक लाभ प्राप्त करेगी’’ विक्रय बढ़ाने एवं शेयरों को ऊंची कीमतों पर बेचने का उल्लेख परिच्छेदों में सही नहीं है। स्पष्ट है कि अभीष्ट विकल्प ‘b’ है।
5. निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए :
परिच्छेद के अनुसार, प्राइवेट तेल कंपनियां तेल उत्पादन के बाज़ार में पुनः प्रवेश करती हैं, यदि
1. एक पारदर्शी नियम-आधारित पेट्रोल का कीमत-निर्धारण अस्तित्व में हो।
2. तेल उत्पादन के बाज़ार में सरकार का कोई हस्तक्षेप न हो।
3. सरकार द्वारा उपदान दिए जाते हों।
4. ऐंटि-ट्रस्ट (न्यास-विरोधी) के विनियमों को हटा दिया गया हो।
उपर्युक्त कथनों में से कौन-से सही हैं?
(a) 1 और 2 (b) 2 और 3
(c) 3 और 4 (d) 2 और 4
उत्तर-(a)

11. चार बच्चे एक पंक्ति में बैठे हैं। A, B की बगल वाली सीट पर बैठा है लेकिन C के बगल में नहीं। यदि C, D की बगल में नहीं बैठा है, तो D के अगल-बगल की सीट/सीटों पर कौन है/हैं?
(a) B
(b) A
(c) B और A
(d) बताना असंभव है
उत्तर-(d)
प्रश्नानुसार,

यह तो स्पष्ट है कि D के एक तरफ ‘A’ होगा लेकिन दूसरी तरफ ज्ञात नहीं हो सकता।
12. कल्पना कीजिए कि-
1. एक घड़ी की घंटे व मिनट की सुइयां बिना झटके के चलती हैं।
2. घड़ी 8 बजे और 9 बजे के बीच का समय दिखाती है।
3. घड़ी की दोनों सुइयां एक-दूसरे के ऊपर हैं।
कितने मिनट (निकटतम पूर्णांक) बाद दोनों सुइयां फिर एक बार एक-दूसरे के ऊपर होंगी?
(a) 60 (b) 62
(c) 65 (d) 67
उत्तर-(c)
घड़ी की घंटे व मिनट की सुइयां 12 घंटे में 11 बार एक दूसरे के ऊपर होती है क्योंकि घंटे व मिनट की सुइयां 65 मिनट बाद एक दूसरे के ऊपर (Overlap) आती हैं।
अतः निकटतम 65 मिनट बाद दोनों सुइयां एक बार फिर एक दूसरे के ऊपर होंगी।
निम्नलिखित 6 (छः) प्रश्नांशों के लिए निर्देश :
निम्नलिखित दो परिच्छेदों को पढ़िए और प्रत्येक परिच्छेद के आगे आने वाले प्रश्नांशों के उत्तर दीजिए। इन प्रश्नांशों के आपके उत्तर इन परिच्छेदों पर ही आधारित होने चाहिए।
(a) B
(b) A
(c) B और A
(d) बताना असंभव है
उत्तर-(d)
प्रश्नानुसार,

यह तो स्पष्ट है कि D के एक तरफ ‘A’ होगा लेकिन दूसरी तरफ ज्ञात नहीं हो सकता।
12. कल्पना कीजिए कि-
1. एक घड़ी की घंटे व मिनट की सुइयां बिना झटके के चलती हैं।
2. घड़ी 8 बजे और 9 बजे के बीच का समय दिखाती है।
3. घड़ी की दोनों सुइयां एक-दूसरे के ऊपर हैं।
कितने मिनट (निकटतम पूर्णांक) बाद दोनों सुइयां फिर एक बार एक-दूसरे के ऊपर होंगी?
(a) 60 (b) 62
(c) 65 (d) 67
उत्तर-(c)
घड़ी की घंटे व मिनट की सुइयां 12 घंटे में 11 बार एक दूसरे के ऊपर होती है क्योंकि घंटे व मिनट की सुइयां 65 मिनट बाद एक दूसरे के ऊपर (Overlap) आती हैं।
अतः निकटतम 65 मिनट बाद दोनों सुइयां एक बार फिर एक दूसरे के ऊपर होंगी।
निम्नलिखित 6 (छः) प्रश्नांशों के लिए निर्देश :
निम्नलिखित दो परिच्छेदों को पढ़िए और प्रत्येक परिच्छेद के आगे आने वाले प्रश्नांशों के उत्तर दीजिए। इन प्रश्नांशों के आपके उत्तर इन परिच्छेदों पर ही आधारित होने चाहिए।
परिच्छेद – 1
जलवायु परिवर्तन, भारत की कृषि पर संभावित रूप से विध्वंसकारी प्रभाव रखता है। जबकि, जलवायु परिवर्तन के समग्र प्राचल वर्धमानतः स्वीकृत हैं-अगले 30 वर्ष में 1oC की औसत ताप वृद्धि इसी अवधि में 10 cm से कम की समुद्र तल वृद्धि और क्षेत्रीय मानसून विचरण तथा संगत अनावृष्टि-भारत में प्रभाव काफी स्थल एवं फ़सल विशिष्ट होने संभावित हैं। कुछ फ़सलें परिवर्तनशील दशाओं के प्रति अनुकूल प्रतिक्रिया दे सकती हैं, दूसरी नहीं भी दे सकती हैं। इससे कृषि अनुसंधान को प्रोत्साहन देने और प्रणाली में अनुकूलन हो सके इस हेतु, अधिकतम नम्यता बनाने की आवश्यकता पर बल पड़ता है।
‘‘अनावृष्टि रोधन’’ का मुख्य संघटक अंतःजलस्तर का प्रबंधित पुनर्भरण है। महत्त्वपूर्ण आधारिक फ़सलों (जैसे, गेहूं) की लगातार उपज सुनिश्चित करने के लिए, ताप परिवर्तनों तथा जल उपलब्धता को देखते हुए इन फ़सलों की उगाई वाले स्थानों को बदलना भी आवश्यक हो सकता है। दीर्घावधि निवेश के निर्णय करने में जल उपलब्धता एक मुख्य कारक होगा।
उदाहरण के लिए, अगले 30 वर्षों में जैसे-जैसे हिमनद पिघलते जाते हैं, हिमालय क्षेत्र से जल के बहाव के बढ़ते जाने और तदनंतर अत्यधिक घटते जाने का पूर्वानुमान किया गया है। कृषि-पारिस्थितिक दशाओं में बड़े पैमाने पर आने वाले इन बदलावों के लिए योजना बनाने हेतु प्रोत्साहन प्रदान करना निर्णायक होगा।
भारत के लिए कृषि अनुसंधान और विकास में दीर्घावधि निवेश करना आवश्यक है। यह संभावित है कि भारत को भविष्य में एक बदले हुए मौसम प्रतिरूप का सामना करना होगा।
13. निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए :
जलवायु परिवर्तन वर्तमान फ़सलों के स्थानों में बदलाव लाने के लिए किस कारण से मजबूर करेंगे?
1. हिमनदों का पिघलना
2. दूसरे स्थानों पर जल उपलब्धता और ताप उपयुक्तता
3. फ़सलों की हीन उत्पादकता
4. सस्य पादपों की अपेक्षाकृत व्यापक अनुकूलता
उपर्युक्त कथनों में से कौन-से सही हैं?
(a) 1, 2 और 3
(b) केवल 2 और 3
(c) केवल 1 और 4
(d) 1, 2, 3 और 4
उत्तर-(a)
स्थान में बदलाव के कारणों में हिमनदों का पिघलना, जल उपलब्धता और ताप उपयुक्तता परिच्छेद में स्पष्ट वर्णित है तथा फसलों की हीन उत्पादकता गर्भित है। कथन 4 परिच्छेद में नहीं है। अतः अभीष्ट विकल्प ‘a’ है।
14. इस परिच्छेद के अनुसार, भारत में कृषि अनुसंधान को बढ़ावा देना महत्त्वपूर्ण क्यों है?
(a) मानसून प्रतिरूपों में विचरण का पूर्वानुमान करना और जल संसाधनों का प्रबंधन करना
(b) आर्थिक संवृद्धि के लिए दीर्घावधि निवेश के निर्णय करना
(c) फ़सलों की व्यापक अनुकूलता को सुकर बनाना
(d) अनावृष्टि दशाओं का पूर्वानुमान करना और अंतः जलस्तरों का पुनर्भरण करना
उत्तर-(c)
परिच्छेद अंश ‘‘कुछ फसलें……बल पड़ता है।’’ देखें। इस अंश से स्पष्ट है कि फसलों की व्यापक अनुकूलता को सुगम बनाने हेतु कृषि अनुसंधान को प्रोत्साहन देने की जरूरत है।
‘‘अनावृष्टि रोधन’’ का मुख्य संघटक अंतःजलस्तर का प्रबंधित पुनर्भरण है। महत्त्वपूर्ण आधारिक फ़सलों (जैसे, गेहूं) की लगातार उपज सुनिश्चित करने के लिए, ताप परिवर्तनों तथा जल उपलब्धता को देखते हुए इन फ़सलों की उगाई वाले स्थानों को बदलना भी आवश्यक हो सकता है। दीर्घावधि निवेश के निर्णय करने में जल उपलब्धता एक मुख्य कारक होगा।
उदाहरण के लिए, अगले 30 वर्षों में जैसे-जैसे हिमनद पिघलते जाते हैं, हिमालय क्षेत्र से जल के बहाव के बढ़ते जाने और तदनंतर अत्यधिक घटते जाने का पूर्वानुमान किया गया है। कृषि-पारिस्थितिक दशाओं में बड़े पैमाने पर आने वाले इन बदलावों के लिए योजना बनाने हेतु प्रोत्साहन प्रदान करना निर्णायक होगा।
भारत के लिए कृषि अनुसंधान और विकास में दीर्घावधि निवेश करना आवश्यक है। यह संभावित है कि भारत को भविष्य में एक बदले हुए मौसम प्रतिरूप का सामना करना होगा।
13. निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए :
जलवायु परिवर्तन वर्तमान फ़सलों के स्थानों में बदलाव लाने के लिए किस कारण से मजबूर करेंगे?
1. हिमनदों का पिघलना
2. दूसरे स्थानों पर जल उपलब्धता और ताप उपयुक्तता
3. फ़सलों की हीन उत्पादकता
4. सस्य पादपों की अपेक्षाकृत व्यापक अनुकूलता
उपर्युक्त कथनों में से कौन-से सही हैं?
(a) 1, 2 और 3
(b) केवल 2 और 3
(c) केवल 1 और 4
(d) 1, 2, 3 और 4
उत्तर-(a)
स्थान में बदलाव के कारणों में हिमनदों का पिघलना, जल उपलब्धता और ताप उपयुक्तता परिच्छेद में स्पष्ट वर्णित है तथा फसलों की हीन उत्पादकता गर्भित है। कथन 4 परिच्छेद में नहीं है। अतः अभीष्ट विकल्प ‘a’ है।
14. इस परिच्छेद के अनुसार, भारत में कृषि अनुसंधान को बढ़ावा देना महत्त्वपूर्ण क्यों है?
(a) मानसून प्रतिरूपों में विचरण का पूर्वानुमान करना और जल संसाधनों का प्रबंधन करना
(b) आर्थिक संवृद्धि के लिए दीर्घावधि निवेश के निर्णय करना
(c) फ़सलों की व्यापक अनुकूलता को सुकर बनाना
(d) अनावृष्टि दशाओं का पूर्वानुमान करना और अंतः जलस्तरों का पुनर्भरण करना
उत्तर-(c)
परिच्छेद अंश ‘‘कुछ फसलें……बल पड़ता है।’’ देखें। इस अंश से स्पष्ट है कि फसलों की व्यापक अनुकूलता को सुगम बनाने हेतु कृषि अनुसंधान को प्रोत्साहन देने की जरूरत है।
परिच्छेद – 2
यह परमावश्यक है कि हम ग्रीनहाउस गैसों का उत्सर्जन घटाएं और इस तरह आगामी वर्षों और दशकों में होने वाले जलवायु परिवर्तन के कुछ बदतरीन प्रभावों से बचें। उत्सर्जन कम करने के लिए ऊर्जा के उत्पादन और उपभोग के हमारे तरीकों में एक बड़ा बदलाव अपेक्षित होगा। जीवाश्म ईंधनों पर अत्यधिक निर्भरता से हटना अतिविलंबित है, किंतु दुर्भाग्य से, प्रौद्योगिकीय विकास धीमा और अपर्याप्त रहा है, मोटे तौर पर इसलिए कि तेल के अपेक्षाकृत निम्न कीमतों से जन्मी अदूरदर्शिता के कारण सरकारी नीतियां अनुसंधान और विकास में निवेश को प्रोत्साहन नहीं देती रही हैं। इसलिए अब राष्ट्रीय अनिवार्यता के रूप में वृहत् पैमाने पर नवीकरणीय ऊर्जा को काम में लाने के अवसर का लाभ उठाना भारत जैसे देश के लिए अत्यावश्यक है। यह देश ऊर्जा के सौर, वायु और जैवमात्रा स्रोतों से अत्यधिक संपन्न है। दुर्भाग्य से, जहां हम पीछे हैं, वह है इन स्रोतों को काम में लाने के लिए प्रौद्योगिकी समाधान विकसित और सर्जित करने की हमारी क्षमता।
जलवायु परिवर्तन पर अंतःसरकारी पैनल (IPCC) द्वारा निर्धारित रूप में ग्रीनहाउस गैसों को सख़्ती से कम करने के लिए एक विशिष्ट प्रक्षेप-पथ स्पष्ट रूप से यह सुनिश्चित करने की आवश्यकता को दिखाता है कि ग्रीनहाउस गैसों के भूमंडलीय उत्सर्जनों का चरम बिंदु 2015 को पार न करे और उसके आगे तेज़ी से घटने लगे। ऐसे प्रक्षेप-पथ के साथ संबद्ध लागत वस्तुतः मर्यादित है और इसकी राशि, IPCC के आकलन में, 2030 में विश्व GDP के 3 प्रतिशत से अधिक नहीं होगी। दूसरे शब्दों में, संपन्नता के जिस स्तर पर विश्व बिना उत्सर्जन में कमी लाए पहुंच सकता, ख़राब-से-ख़राब हालत में कुछ मास या अधिक-से-अधिक एक वर्ष तक टल जाएगी। स्पष्टतः यह, जलवायु परिवर्तन से जुड़े बदतरीन ख़तरों से करोड़ों लोगों को बचाने के लिए चुकाई जाने वाली कोई बहुत बड़ी कीमत नहीं है। तथापि, ऐसे किसी प्रयास के लिए जीवन-शैलियों को भी उपयुक्त रूप से बदलना होगा। ग्रीनहाउस गैसों के उत्सर्जन में कमी लाना सिर्फ़ एक प्रौद्योगिकीय उपाय भर नहीं है, और इसके लिए स्पष्टतः जीवन-शैलियों में बदलाव और देश की आर्थिक संरचना में रूपांतरण अपेक्षित है, जिसके द्वारा उत्सर्जन को प्रभावी रूप से कम किया जाए, जैसे कि जीव प्रोटीन के काफी कम मात्राओं में उपभोग के माध्यम से। खाद्य एवं कृषि संगठन (FAO) ने यह निर्धारित किया है कि पशुधन क्षेत्रक से उत्सर्जन कुल उत्सर्जन का 18 प्रतिशत होता है। इस स्रोत से हो रहे उत्सर्जन में कमी लाना पूरी तरह मनुष्यों के हाथ में है, जिन्होंने अपनी अधिक-से-अधिक जीव प्रोटीन के उपभोग की आहार-आदतों के कारण पड़ने वाले प्रभाव पर कभी कोई प्रश्न नहीं उठाया। वस्तुतः उत्सर्जन में कमी लाने के विशाल सह-सुलाभ है, जैसे अपेक्षाकृत कम वायु प्रदूषण और स्वास्थ्य संबंधी लाभ, उच्चतर ऊर्जा सुनिश्चितता तथा और अधिक रोज़गार।
15. परिच्छेद के अनुसार, निम्नलिखित में से कौन-से ग्रीनहाउस गैसों के उत्सर्जन को कम करने में सहायक होंगे?
1. मांस के उपभोग में कमी लाना
2. तीव्र आर्थिक उदारीकरण
3. उपभोक्तावाद में कमी लाना
4. पशुधन की आधुनिक प्रबंधन प्रक्रियाएं
नीचे दिए गए कूट का प्रयोग कर सही उत्तर चुनिए :
(a) 1, 2 और 3 (b) 2, 3 और 4
(c) केवल 1 और 3 (d) केवल 2 और 4
उत्तर-(c)
परिच्छेद में कहीं भी ग्रीनहाउस गैसों के उत्सर्जन में कमी लाने हेतु तीव्र आर्थिक उदारीकरण की आवश्यकता का उल्लेख नहीं किया गया है। अतः ऐसे विकल्प का ही चयन किया जा सकता है जिसमें क्रमांक 2 अर्थात् तीव्र आर्थिक उदारीकरण न हो। ऐसा विकल्प केवल ‘c’ है, अतः यही अभीष्ट विकल्प है।
16. हम जीवाश्म ईंधनों पर अत्यधिक निर्भर क्यों बने हुए हैं?
1. अपर्याप्त प्रौद्योगिकीय विकास
2. अनुसंधान और विकास के लिए अपर्याप्त निधियां
3. ऊर्जा के वैकल्पिक स्रोतों की अपर्याप्त उपलब्धता
नीचे दिए गए कूट का प्रयोग कर सही उत्तर चुनिए :
(a) केवल 1
(b) केवल 2 और 3
(c) केवल 1 और 3
(d) 1, 2 और 3
उत्तर-(a)
परिच्छेद की यह पंक्ति देखें-‘‘यह देश ऊर्जा के सौर, वायु और जैव मात्रा स्रोतों से अत्यधिक संपन्न है।’’ स्पष्ट है कि वैकल्पिक स्रोतों की अपर्याप्त उपलब्धता नहीं है। अभीष्ट विकल्प वही होगा जिसमें क्रमांक 3 न हो। ऐसा विकल्प केवल ‘a’ है।
17. परिच्छेद के अनुसार, ग्रीनहाउस गैसों में कमी लाना हमारे लिए किस तरह सहायक है?
1. इससे लोक स्वास्थ्य पर व्यय घटता है
2. इससे पशुधन पर निर्भरता घटती है
3. इससे ऊर्जा आवश्यकताएं घटती हैं
4. इससे भूमंडलीय जलवायु परिवर्तन की दर घटती है
नीचे दिए गए कूट का प्रयोग कर सही उत्तर चुनिए :
(a) 1, 2 और 3
(b) 1, 3 और 4
(c) 2, 3 और 4
(d) केवल 1 और 4
उत्तर-(d)
परिच्छेद की अंतिम कुछ पंक्तियां देखें-‘उत्सर्जन में कमी से स्वास्थ्य संबंधी लाभ होगा तो जाहिर है कि इसमें लोक स्वास्थ्य पर व्यय घटेगा’ । परिच्छेद का सार यह भी है कि ग्रीनहाउस गैसों में कमी से जलवायु परिवर्तन में कमी आएगी। परिच्छेदों में पशुधन पर निर्भरता घटने या ऊर्जा आवश्यकताएं घटने का उल्लेख नहीं है। स्पष्ट है कि विकल्प ‘d’ सही है।
18. इस परिच्छेद का सारभूत संदेश क्या है?
(a) हम जीवाश्म ईंधनों पर अत्यधिक निर्भर बने हुए हैं
(b) ग्रीनहाउस गैसों में कमी लाना अत्यावश्यक है
(c) हमें अनुसंधान और विकास में निवेश करना ही चाहिए
(d) लोगों को अपनी जीवन-शैली बदलनी ही चाहिए।
उत्तर-(b)
परिच्छेद का सारभूत संदेश ग्रीनहाउस गैसों में कमी लाना ही है। अन्य विकल्पों में दिए गए कारक इस सारभूत लक्ष्य की प्राप्ति में सहायक कृत्य हैं। स्पष्ट है कि अभीष्ट विकल्प ‘b’ है।
19. एक नर्सरी कक्षा में 50 विद्यार्थियों को प्रवेश दिया गया। कुछ विद्यार्थी केवल अंग्रेज़ी बोल सकते हैं और कुछ केवल हिंदी बोल सकते हैं। 10 विद्यार्थी अंग्रेज़ी और हिंदी दोनों बोल सकते हैं। यदि उन विद्यार्थियों की संख्या, जो अंग्रेज़ी बोल सकते हैं, 21 है, तो कितने विद्यार्थी हिंदी बोल सकते हैं, कितने केवल हिंदी बोल सकते हैं और कितने केवल अंग्रेज़ी बोल सकते हैं?
(a) क्रमशः 21, 11 और 29
(b) क्रमशः 28, 18 और 22
(c) क्रमशः 37, 27 और 13
(d) क्रमशः 39, 29 और 11
उत्तर-(d)
10 विद्यार्थी अंग्रेजी और हिंदी दोनों बोल सकते हैं।
उन विद्यार्थियों की संख्या जो अंग्रेज़ी बोल सकते हैं = 21 है
अतः केवल अंग्रेज़ी बोलने वाले विद्यार्थियों की संख्या = 21 – 10 = 11 होगी।
इस प्रकार हिंदी बोलने वाले विद्यार्थियों की संख्या = 50 – 11 = 39 होगी।
केवल हिंदी बोलने वाले विद्यार्थियों की संख्या = 39 – 10 = 29 होगी।
अतः हिंदी बोलने वाले, केवल हिंदी बोलने वाले तथा केवल अंग्रेज़ी बोलने वाले विद्यार्थियों की संख्या क्रमशः 39, 29 एवं 11 होगी।
20. एक माली अपने आयताकार बगीचे की लंबाई में 40% वृद्धि तथा चौड़ाई में 20% कमी करते हुए बगीचे के क्षेत्रफल में वृद्धि करता है। नए बगीचे का क्षेत्रफल
(a) 20% बढ़ जाता है।
(b) 12% बढ़ जाता है।
(c) 8% बढ़ जाता है।
(d) बिलकुल पुराने क्षेत्रफल जितना रहता है।
उत्तर-(b)

जलवायु परिवर्तन पर अंतःसरकारी पैनल (IPCC) द्वारा निर्धारित रूप में ग्रीनहाउस गैसों को सख़्ती से कम करने के लिए एक विशिष्ट प्रक्षेप-पथ स्पष्ट रूप से यह सुनिश्चित करने की आवश्यकता को दिखाता है कि ग्रीनहाउस गैसों के भूमंडलीय उत्सर्जनों का चरम बिंदु 2015 को पार न करे और उसके आगे तेज़ी से घटने लगे। ऐसे प्रक्षेप-पथ के साथ संबद्ध लागत वस्तुतः मर्यादित है और इसकी राशि, IPCC के आकलन में, 2030 में विश्व GDP के 3 प्रतिशत से अधिक नहीं होगी। दूसरे शब्दों में, संपन्नता के जिस स्तर पर विश्व बिना उत्सर्जन में कमी लाए पहुंच सकता, ख़राब-से-ख़राब हालत में कुछ मास या अधिक-से-अधिक एक वर्ष तक टल जाएगी। स्पष्टतः यह, जलवायु परिवर्तन से जुड़े बदतरीन ख़तरों से करोड़ों लोगों को बचाने के लिए चुकाई जाने वाली कोई बहुत बड़ी कीमत नहीं है। तथापि, ऐसे किसी प्रयास के लिए जीवन-शैलियों को भी उपयुक्त रूप से बदलना होगा। ग्रीनहाउस गैसों के उत्सर्जन में कमी लाना सिर्फ़ एक प्रौद्योगिकीय उपाय भर नहीं है, और इसके लिए स्पष्टतः जीवन-शैलियों में बदलाव और देश की आर्थिक संरचना में रूपांतरण अपेक्षित है, जिसके द्वारा उत्सर्जन को प्रभावी रूप से कम किया जाए, जैसे कि जीव प्रोटीन के काफी कम मात्राओं में उपभोग के माध्यम से। खाद्य एवं कृषि संगठन (FAO) ने यह निर्धारित किया है कि पशुधन क्षेत्रक से उत्सर्जन कुल उत्सर्जन का 18 प्रतिशत होता है। इस स्रोत से हो रहे उत्सर्जन में कमी लाना पूरी तरह मनुष्यों के हाथ में है, जिन्होंने अपनी अधिक-से-अधिक जीव प्रोटीन के उपभोग की आहार-आदतों के कारण पड़ने वाले प्रभाव पर कभी कोई प्रश्न नहीं उठाया। वस्तुतः उत्सर्जन में कमी लाने के विशाल सह-सुलाभ है, जैसे अपेक्षाकृत कम वायु प्रदूषण और स्वास्थ्य संबंधी लाभ, उच्चतर ऊर्जा सुनिश्चितता तथा और अधिक रोज़गार।
15. परिच्छेद के अनुसार, निम्नलिखित में से कौन-से ग्रीनहाउस गैसों के उत्सर्जन को कम करने में सहायक होंगे?
1. मांस के उपभोग में कमी लाना
2. तीव्र आर्थिक उदारीकरण
3. उपभोक्तावाद में कमी लाना
4. पशुधन की आधुनिक प्रबंधन प्रक्रियाएं
नीचे दिए गए कूट का प्रयोग कर सही उत्तर चुनिए :
(a) 1, 2 और 3 (b) 2, 3 और 4
(c) केवल 1 और 3 (d) केवल 2 और 4
उत्तर-(c)
परिच्छेद में कहीं भी ग्रीनहाउस गैसों के उत्सर्जन में कमी लाने हेतु तीव्र आर्थिक उदारीकरण की आवश्यकता का उल्लेख नहीं किया गया है। अतः ऐसे विकल्प का ही चयन किया जा सकता है जिसमें क्रमांक 2 अर्थात् तीव्र आर्थिक उदारीकरण न हो। ऐसा विकल्प केवल ‘c’ है, अतः यही अभीष्ट विकल्प है।
16. हम जीवाश्म ईंधनों पर अत्यधिक निर्भर क्यों बने हुए हैं?
1. अपर्याप्त प्रौद्योगिकीय विकास
2. अनुसंधान और विकास के लिए अपर्याप्त निधियां
3. ऊर्जा के वैकल्पिक स्रोतों की अपर्याप्त उपलब्धता
नीचे दिए गए कूट का प्रयोग कर सही उत्तर चुनिए :
(a) केवल 1
(b) केवल 2 और 3
(c) केवल 1 और 3
(d) 1, 2 और 3
उत्तर-(a)
परिच्छेद की यह पंक्ति देखें-‘‘यह देश ऊर्जा के सौर, वायु और जैव मात्रा स्रोतों से अत्यधिक संपन्न है।’’ स्पष्ट है कि वैकल्पिक स्रोतों की अपर्याप्त उपलब्धता नहीं है। अभीष्ट विकल्प वही होगा जिसमें क्रमांक 3 न हो। ऐसा विकल्प केवल ‘a’ है।
17. परिच्छेद के अनुसार, ग्रीनहाउस गैसों में कमी लाना हमारे लिए किस तरह सहायक है?
1. इससे लोक स्वास्थ्य पर व्यय घटता है
2. इससे पशुधन पर निर्भरता घटती है
3. इससे ऊर्जा आवश्यकताएं घटती हैं
4. इससे भूमंडलीय जलवायु परिवर्तन की दर घटती है
नीचे दिए गए कूट का प्रयोग कर सही उत्तर चुनिए :
(a) 1, 2 और 3
(b) 1, 3 और 4
(c) 2, 3 और 4
(d) केवल 1 और 4
उत्तर-(d)
परिच्छेद की अंतिम कुछ पंक्तियां देखें-‘उत्सर्जन में कमी से स्वास्थ्य संबंधी लाभ होगा तो जाहिर है कि इसमें लोक स्वास्थ्य पर व्यय घटेगा’ । परिच्छेद का सार यह भी है कि ग्रीनहाउस गैसों में कमी से जलवायु परिवर्तन में कमी आएगी। परिच्छेदों में पशुधन पर निर्भरता घटने या ऊर्जा आवश्यकताएं घटने का उल्लेख नहीं है। स्पष्ट है कि विकल्प ‘d’ सही है।
18. इस परिच्छेद का सारभूत संदेश क्या है?
(a) हम जीवाश्म ईंधनों पर अत्यधिक निर्भर बने हुए हैं
(b) ग्रीनहाउस गैसों में कमी लाना अत्यावश्यक है
(c) हमें अनुसंधान और विकास में निवेश करना ही चाहिए
(d) लोगों को अपनी जीवन-शैली बदलनी ही चाहिए।
उत्तर-(b)
परिच्छेद का सारभूत संदेश ग्रीनहाउस गैसों में कमी लाना ही है। अन्य विकल्पों में दिए गए कारक इस सारभूत लक्ष्य की प्राप्ति में सहायक कृत्य हैं। स्पष्ट है कि अभीष्ट विकल्प ‘b’ है।
19. एक नर्सरी कक्षा में 50 विद्यार्थियों को प्रवेश दिया गया। कुछ विद्यार्थी केवल अंग्रेज़ी बोल सकते हैं और कुछ केवल हिंदी बोल सकते हैं। 10 विद्यार्थी अंग्रेज़ी और हिंदी दोनों बोल सकते हैं। यदि उन विद्यार्थियों की संख्या, जो अंग्रेज़ी बोल सकते हैं, 21 है, तो कितने विद्यार्थी हिंदी बोल सकते हैं, कितने केवल हिंदी बोल सकते हैं और कितने केवल अंग्रेज़ी बोल सकते हैं?
(a) क्रमशः 21, 11 और 29
(b) क्रमशः 28, 18 और 22
(c) क्रमशः 37, 27 और 13
(d) क्रमशः 39, 29 और 11
उत्तर-(d)
10 विद्यार्थी अंग्रेजी और हिंदी दोनों बोल सकते हैं।
उन विद्यार्थियों की संख्या जो अंग्रेज़ी बोल सकते हैं = 21 है
अतः केवल अंग्रेज़ी बोलने वाले विद्यार्थियों की संख्या = 21 – 10 = 11 होगी।
इस प्रकार हिंदी बोलने वाले विद्यार्थियों की संख्या = 50 – 11 = 39 होगी।
केवल हिंदी बोलने वाले विद्यार्थियों की संख्या = 39 – 10 = 29 होगी।
अतः हिंदी बोलने वाले, केवल हिंदी बोलने वाले तथा केवल अंग्रेज़ी बोलने वाले विद्यार्थियों की संख्या क्रमशः 39, 29 एवं 11 होगी।
20. एक माली अपने आयताकार बगीचे की लंबाई में 40% वृद्धि तथा चौड़ाई में 20% कमी करते हुए बगीचे के क्षेत्रफल में वृद्धि करता है। नए बगीचे का क्षेत्रफल
(a) 20% बढ़ जाता है।
(b) 12% बढ़ जाता है।
(c) 8% बढ़ जाता है।
(d) बिलकुल पुराने क्षेत्रफल जितना रहता है।
उत्तर-(b)

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