पूछे जाने वाले पश्न उत्तर ( भंडारण और अनुसंधान प्रभाग)
भंडारण और अनुसंधान प्रभाग
मंत्रालय के अधीन कितने गुण-नियंत्रण सैल कार्य कर रहे हैं और उनके मुख्य कार्य क्या -क्या हैं?
खाद्य और सार्वजनिक वितरण विभाग के सीधे नियंत्रण के अधीन 8 गुण-नियंत्रण सैल कार्य कर रहे हैं जो नई दिल्ली, कोलकाता, हैदराबाद, बंगलौर, भोपाल, भुवनेश्वर, लखनऊ और पुणे में स्थि त है।
इन सैलों का मुख्या उद्देश्य राज्यक सरकारों और भारतीय खाद्य निगम की सहायता करना है ताकि खरीदारी, भंडारण और वितरण के समय खाद्यान्नों की गुणवत्ता सुनिश्चिहत की जा सके। खाद्य भंडारण डिपुओं पर इन सैलों के अधिकारियों द्वारा औचक जांच की जाती है ताकि खाद्यान्नों की गुणवत्ता सुनिश्चिरत की जा सके। यह भी सुनिश्चिात किया जाता है कि खाद्यान्नोंण का उचित भंडारण और रखरखाव करने के बारे में सरकार द्वारा जारी दिशा-निर्देशों/अनुदेशों का भारतीय खाद्य निगम, केंद्रीय भंडारण निगम, राज्यक भंडारण निगमों और राज्यि एजेंसियों द्वारा पालन किया जाता है। ये सैल खरीदारी, भंडारण और वितरण के दौरान खाद्यान्नोंं की गुणवत्ताज के बारे में संसद सदस्य , अति विशिष्टद व्यरक्तिंयों, राज्यद सरकारों, मीडिया और उपभोक्ता ओं से प्राप्ता विभिन्न शिकायतों का कार्य भी देखते हैं। निरीक्षण/जांच के दौरान पाई गई त्रुटियों/कमियों का समाधान करने के लिए तथा चूककर्ताओं के खिलाफ कार्रवाई करने के लिए संबंधित प्राधिकारियों को भेजा जाता है।
कैप भंडारण के लिए राज्यक सरकारों को क्याी अनुदेश दिये जाते हैं?
सभी राज्य सरकारों/केन्द्री शासित क्षेत्र प्रशासनों और भारतीय खाद्य निगम को 09 अक्तूबर, 2002 से समय-समय पर खाद्यान्नोंक के सुरक्षित भंडारण और खाद्यान्नोंम के वितरण के बारे में अनुदेश जारी किये गये हैं। मंत्रालय के दिनांक 08 जून, 2012 के पत्र संख्यां 40-1/2012-क्यूौ सी सी द्वारा अनुदेश दोहराये गये हैं। इन उपायों में खरीदारी, भंडारण और वितरण के दौरान खाद्यान्नों की गुणवत्ता की लगातार मानिटरिंग करना, कवर्ड और कैप भंडारण में सुरक्षित भंडारण के लिए पद्धति संहिता अपनाना, कृमियों और कीटों के नियंत्रण के लिए रोग निरोधी और रोगहर उपचार जैसे सभी सावधानी के उपाय करना, गुणवत्ताऔ का आकलन करने के लिए स्टापक का नियमित आवधिक निरीक्षण करना आदि शामिल है।
इसके अलावा खरीदारी, भंडारण और वितरण के समय खाद्यान्नों के गुण नियंत्रण संबंधी मुद्दे पर संबंधित राज्य सरकारों/संघ राज्य क्षेत्र प्रशासनों और भारतीय खाद्य निगम के साथ मंत्रालय में उपभोक्ता मामले, खाद्य और सार्वजनिक वितरण राज्यष मंत्री (स्वतंत्र प्रभार), सचिव (खाद्य और सार्वजनिक वितरण) और संयुक्त सचिव द्वारा ली जाने वाली प्रत्येक बैठक/सम्मेलन में भी चर्चा की जाती है।
यह अवधारणा क्यों हैं कि सम्पूर्ण देश में खाद्यान्नों की बहुत बड़े पैमाने पर क्षति होती है अथवा वे सड़ते हैं? क्या यह सच है?
यह सच नहीं है कि खाद्यान्नों की बहुत बड़े पैमाने पर क्षति होती है। मीडिया द्वारा ऐसा प्रभाव पैदा किया गया है कि खाद्यान्नोंय की काफी मात्रा क्षतिग्रस्त होती है। भंडारण के दौरान कीटों के हमले, गोदामों में लीकेज, खाद्यान्नोंक की गुणवत्ताक के स्टाकक की खरीदारी, स्टाहक के संचलन के दौरान वर्षा में भीगने, बाढ़ आने, संबंधित अधिकारियों की ओर से लापरवाही होने आदि जैसे विभिन्न कारणों से गोदामों में भंडारित खाद्यान्नों की कुछ मात्रा क्षतिग्रस्ता हो जाती है।
पिछले 5 वर्षों के लिए भारतीय खाद्य निगम के स्टातक से हुए उठान की तुलना में क्षतिग्रस्तभ खाद्यान्नो का प्रतिशत निम्नयलिखित सारणी में दिया गया है:
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