संगीत के साथ योग करना चाहिए

 जब आप  आसन  कर रहे हों, तो आपके आसपास कोई आइना या किसी तरह का संगीत नहीं होना चाहिए। हठ योग करते समय शरीर, मन, ऊर्जा और अंतःकरण- सभी का उसमें पूरी तरह शामिल होना जरूरी है। अगर आप रचना के स्रोत को जो आपके भीतर है, शामिल करना चाहते हैं, तो इसके लिए आापके शरीर, मन और ऊर्जा को पूरी तरह से सम्मिलित होना जरूरी है। इसे आपको खास तरह की श्रद्धा और एकाग्रता के साथ करना चाहिए, ना कि गए, संगीत बजा दिया और थोड़ा अभ्यास कर लिया। योग केंद्रों या स्टूडियो की आज सबसे बड़ी समस्या यह है कि योग शिक्षक आसन करते हुए बातें करते रहते हैं। ऐसा करने से आपका नुकसान होना तय है।
आसन करते समय बात न करना सिर्फ योग का चलन नहीं, बल्कि इसका नियम है। मुद्राओं के दौरान आप कभी बात नहीं कर सकते। आसन करते समय सांस, मानसिक एकाग्रता व ऊर्जा की स्थिरता जैसी सभी चीजों का बहुत महत्व है। आसन करते हुए अगर आप बातें करेंगे, तो ये सब नष्ट हो जाएगा। कम से कम आठ-दस ऐसे लोग हमारे पास आ चुके हैं, जो गंभीर असंतुलन के शिकार हैं और जिससे बाहर निकलने में हमने उनकी मदद की। उनमें से करीब चार लोगों ने अपना पेशा ही छोड़ दिया, क्योंकि उन्हें अहसास हो गया कि वे अब तक किन बेमतलब की चीजों में उलझे हुए थे।
कुछ साल पहले जब मैं अमेरिका में था, तो मुझे एक योग स्टूडियों में बोलने के लिए बुलाया गया। जब मैं योग स्टूडियो पहुंचा तो देखा कि लोगों को उत्साहित करने के लिए वहां जोरदार संगीत बज रहा था। योग शिक्षिका अर्धमत्स्येंद्रासन की मुद्रा में थीं और लोगों से बातें भी कर रही थीं। मुझे देखते ही, उछलकर खड़ी हो गईं और आकर मुझसे लिपट गईं।
मैं उन्हें एक तरफ ले गया और उनसे कहा, ‘देखिए, इस तरह आपके सिस्टम में गंभीर असंतुलन हो सकता है। आप कितने सालों से ऐसा कर रही हैं?’ उन्होंने कहा, ‘करीब 15-16 सालों से।’ मैंने कहा, ‘अगर आप पिछले 16 सालों से ऐसा कर रही हैं, तो निश्चित रूप से आपको  फलां-फलां बीमारियां होंगी।’ इतना सुनते ही वह डर कर मुझे देखने लगीं। अगले दिन वह मेरे पास आईं और बोलीं, ‘सद्गुरु, कल आपने जो कहा था, वह वाकई मेरे साथ हो रहा है। मैं तमाम तरह का डॉक्टरी इलाज करवा रही हूं।’ मैंने कहा, ‘आपको डॉक्टर की जरूरत नहीं है, आप खुद अपने को बीमार कर रही हैं। ये सब छोड़ दीजिए, सारी बीमारियां खत्म हो जाएंगी।’ डेढ़ साल के बाद उन्होंने योग सिखाना छोड़ दिया।
ऐसे बहुत सारे लोग, जिन्होंने गलत तरीके से योगाभ्यास किया है, अपना मानसिक संतुलन खो बैठे हैं। ऐसा इसलिए नहीं, क्योंकि योग करना खतरनाक है, बल्कि दुनिया में मूर्खता हमेशा  ही खतरनाक होती है। आपका कोई भी मूर्खतापूर्ण व्यवहार आपको ही नुकसान पहुंचाएगा।

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