बेटी पढाओ बेटी बचाओ

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बेटी बचाओ बेटी पढाओ

बचाओ बेटी पढ़ाओ योजना की शुरुआत 22 जनवरी 2015 को की गई है और जिसे निम्न लिंगानुपात वाले 100 जिलों में प्रारंभ किया गया है। सभी राज्यों / संघ शासित क्षेत्रों को कवर 2011 की जनगणना के अनुसार निम्न बाल लिंगानुपात के आधार पर प्रत्येक राज्य में कम से कम [4]
एक ज़िले के साथ 100 जिलों का एक पायलट जिले के रुप में चयन किया गया है '

बेटी बचाओ बेटी पढाओ एक नजर में

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औरतें समाज का बहुत महत्वपूर्ण भाग है और पृश्वी पर जीवन के हर एक पहलू में बराबर भाग लेती है। हांलाकि, भारत में महिलाओं के खिलाफ हो रहे अत्याचारों को कारण स्त्रियों के निरंतर गिरते लिंग अनुपात ने, महिलाओं के पूरी तरह से खत्म होने के डर को जन्म दिया है। इसलिये, भारत में महिलाओं के लिंग अनुपात को बनाये रखने के लिये कन्याओं (बालिकाओं) को बचाना बहुत आवश्यक है। ये भारतीय समाज में सामाजिक जागरुकता का एक बहुत महत्वपूर्ण विषय बन गया है जिसे भारतीय युवाओं को अवश्य जानना चाहिये। छात्रों के ज्ञान और लिखने के कौशल को बढ़ाने के लिये शिक्षक उन्हें इस विषय पर कक्षा में, परीक्षा के दौरान या किसी प्रतियोगिता के आयोजन पर पैराग्राफ या पूरा निबंध लिखने के लिये दे सकते है। निम्नलिखित निबंध विद्यार्थियों के लिये विशेष रुप से बेटी बचाओ विषय पर लिखे गये है। वो अपनी आवश्यकता और जरुरत के अनुसार किसी भी बेटी बचाओ निबंध को चुन सकते है।
सामाजिक सन्तुलन को बनाये रखने के लिये, समाज में लड़कियाँ भी लड़कों की तरह महत्वपूर्ण है। कुछ वर्ष पहले, पुरुषों के मुकाबले में महिलाओं की संख्या में भारी गिरावट थी। ये महिलाओं के खिलाफ अपराधों को बढ़ने के कारण था जैसे: कन्या भ्रूण हत्या, दहेज के लिये हत्या, बलात्कार, गरीबी, अशिक्षा, लिंग भेदभाव आदि। समाज में महिलाओं की संख्या को बराबर करने के लिये, लोगों को बड़े स्तर पर कन्या बचाने के बारे में जागरुक करने की आवश्यकता है। भारत की सरकार ने कन्याओं को बचाने के सन्दर्भ में कुछ सकारात्मक कदम उठाये है जैसे: महिलाओं की घरेलू हिंसा से सुरक्षा अधिनियम 2005, कन्या भ्रूण हत्या पर प्रतिबंध, अनैतिक तस्करी (रोकथाम) अधिनियम, उचित शिक्षा, लिंग समानता आदि।
महिलाओं के सम्पूर्ण सामाजिक और आर्थिक स्तर को सुधारने के लिये बेटी बचाओ विषय पर पूरे भारत में सभी के ध्यान को केन्द्रित करना है। केन्द्रीय या राज्य सरकार ने बेटी बचाओ के सन्दर्भ में निम्नलिखित कुछ पहलों को शुरु किया है:
  • कन्या (बालिका) बचाने के लिये, दिल्ली और हरियाणा सरकार ने 2008 में लाड़ली योजना को शुरु करके लागू किया था। इस योजना का उद्देश्य कन्या भ्रूण हत्या को रोकने के साथ ही साथ शिक्षा और समान लिंग अधिकार के माध्यम से बालिकाओं की स्थिति में सुधार था।
  • शिक्षा के माध्यम से लड़कियों को सशक्त करने के उद्देश्य से महिला एवं बाल विकास मंत्रालय ने 2011 में सबला योजना को शुरु किया था।
  • जन्म, पंजीकरण, और टीकाकरण के बाद बालिका के परिवार को नकद हस्तांतरण प्रदान करने के उद्देश्य से महिला एवं बाल विकास मंत्रालय के द्वारा 2008 में धनलक्ष्मी योजना को शुरु किया गया था।
  • किशोरियों के पोषण और स्वास्थ्य की स्थिति में सुधार करने के उद्देश्य से महिला एवं बाल विकास मंत्रालय के द्वारा किशोरी शक्ति योजना को शुरु किया गया था।
  • परिवार में एक लड़की की समान हिस्सेदारी को सुनिश्चित करने के लिए सुकन्या समृद्धि योजना शुरु की गयी।
  • बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ (अर्थात् लड़कियों को बचाना और लड़कियों को पढ़ाना) योजना को 2015 में महिलाओं के कल्याण के लिये शुरु किया गया था।

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